हो खुशी या ग़म मैं कुछ भी ना कहूँगा, मैं अकेला था अकेला ही रहूँगा...
रात काली है ना दिन में है उजाला, मैं गिरा मुझको किसी ने ना संभाला,
सोचता था चाहने वाले कई हैं, क्या पता था दिल से सबने है निकाला,
ना कोई उम्मीद ना ही है सहारा, है यकीं ख़ुद पे की सब कुछ मैं सहूंगा!!
है हज़ारों ख्वाहिशें दूर है मंज़िल, हो न हो फ़िर भी तो डरता है ये दिल,
सोचता हूँ तू जो मुझको जाये मिल, देखे रस्ता मेरा, है कितनी मुश्किल,
मुश्किलों में बन के दरिया मैं बहूँगा, मैं अकेला था अकेला ही रहूँगा!!!!!
1 comment:
What happened champ?
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